घर से मकान बन गया है

उम्मीद की डोर थामे जीवन की गाड़ी चल रही है।जीवन जीन के लिए सांसों की लरी बन रही है।सांसों की लरी से खुशियों का घर बन रहा है।घरों की दीवारों पर तमन्नाओं का छत टिका है।छतों पर खड़े हो कर मंजिलें राह देख रही हैं।आँखों की रोशनी से खुशियों का घर बना रहा है।मंजिलों के … Continue reading घर से मकान बन गया है

यादों का किस्सा

यादों का किस्सा कितना अजीब होता है। यादें कभी भी कहीं भी आ और जा सकते हैं। उनको किसी टिकेट या पहचान पत्र की ज़रूरत नहीं होती है। वो तो बस यूं ही आ कर दिल के घर में मेहमान बन जाते हैं। यादें उस बंद कमरे जैसे होते हैं, जो सालों में एक बार … Continue reading यादों का किस्सा

बंदिशों के पार

आजकल हर इंसान किसी न किसी बंदिशों में बंधा है। और हर बंदिश का कारण एक ही है, लोग क्या कहेंगे???? कभी इन तीन शब्दों से आगे निकल कर सोचें और पूछें, बंदिशें दूसरे बनाते हैं या हम खुद दूसरों के बारे में सोच कर लगाते हैं???? इन बंदिशों को कभी खोल के आगे निकलें, … Continue reading बंदिशों के पार

सीमा

जब लोग कहते हैं कि हम आपके दर्द को समझ सकते हैं। तो उनके समझ की सीमा कहाँ तक होती है? क्योंकि दर्द को समझने के लिए महसूस करना पड़ता है। और आजकल लोग बोलते ज़्यादा हैं और समझते कम हैं। जब लोग कहते हैं कि हम आपके साथ हैं। तो साथ देने की उनकी … Continue reading सीमा

Better Life?????

We work hard to make life better, right? Wasn't it supposed to get better? We assumed that time would heal all wounds, but we are still unraveling from the scars that were left behind from our past. We thought we were supposed to grow out of loneliness at a certain age. We thought we were … Continue reading Better Life?????

Self questioning

In my life till now at what point I was wrong? No, I was not but I was kept in a different situation. Am I wrong because I keep my points daringly? No, I was not but I was explaining things to the wrong people. Am I wrong because I can't hold where things are … Continue reading Self questioning

मंजिल

मंजिल का पता किसके पास है सब तो बस यूं ही चलते जा रहे हैं।किसी की मंजिल आसमान तो किसी की दो वक्त की रोटी है। जैसे पतंग को नहीं पता कि उसकी मंजिल कहां है।वैसे ही धागे को कहां पता कि वो कब पतंग से जुदा हो जाए। जैसे जिंदगी को कहां पता कि … Continue reading मंजिल

It’s essential to supervise mental health.

It's essential to supervise mental health.According to my point of view, physical health and mental health both are important for all of us. But in our society people give less preference to mental health when compared to physical health. In our society, people feel awkward talking about mental illness. We try to resist the pressure … Continue reading It’s essential to supervise mental health.

सब याद है

यादें उन पुरानी बातों की, बातें उन पुराने रिश्तों के, रिश्ते उन पुराने लोगों से, लोग उन पुराने घरों के, सब याद है। यादें उन पुराने हिस्सों के, हिस्से उन पुराने किस्सों के, किस्से उन पुराने शहरों के, शहरे उन पुराने जमाने के, सब याद है।

कच्चे – पक्के रिश्ते

कुछ कच्चे रिश्ते जो कच्चे आम जैसे होते है। कुछ पक्के रिश्ते जो पक्के मकान जैसे होते है। जो थोड़े खटे और थोड़े मीठे होते है। जो थोड़े मज़बूत और थोड़े खाली होते है। कुछ कच्चे घरों में पक्के रिश्ते बन जाते है। तो कुछ पक्के घरों में कच्चे रिश्ते बिखर जाते है। रिश्ते कैसे … Continue reading कच्चे – पक्के रिश्ते